Code Of Conduct
उत्तरांचल शासन
कार्मिक अनुभाग-2
संख्या 1473 ।/कार्मिक-2/2002
देहरादून, 22 नवम्बर, 2002
अधिसूचना/प्रकीर्ण
‘‘भारत का संविधान’’ के अनुच्छेद 309 के परन्तुक ;च्तवअपेवद्ध द्वारा प्रदत्त अधिकारों का प्रयोग करके, उत्तरांचल के श्री राज्यपाल, राज्य के कार्यों से सम्बद्ध सेवा में लगे सरकारी कर्मचारियों के प्रकरण को विनियमन करने हेतु निम्नलिखित नियमावली बनाते हैं :- उत्तरांचल राज्य कर्मचारियों की आचरण नियमावली, 2002 1-संक्षिप्त नाम- यह नियमावली उत्तरांचल राज्य कर्मचारियों की आचरण नियमावली, 2002 कहलायेगी। 2-परिभाषाएं- जब तक प्रसंग से अन्य कोई अर्थ अपेक्षित न हो, इस नियमावली में- (क) ‘‘सरकार’’ से तात्पर्य उत्तरांचल सरकार से है। (ख) ‘‘सरकारी कर्मचारी’’ से तात्पर्य ऐसे लोक सेवक से है, जो उत्तरांचल राज्य के कार्यों से सम्बद्ध किन्हीं लोक सेवाओं और पदों पर नियुक्त हो। स्पष्टीकरण-किसी बात के होते हुए भी कि ऐसे सरकारी कर्मचारी का वेतन उत्तरांचल की संचित निधि से अन्य साधनों से आहरित किया जाता है, ऐसे सरकारी कर्मचारी भी, जिनकी सेवायें, उत्तरांचल सरकार ने किसी कम्पनी, निगम, संगठन, स्थानीय प्राधिकारी, केन्द्रीय सरकार, किसी अन्य राज्य सरकार को अर्पित कर दी हों, इन नियमों के प्रयोजनों के लिये, सरकारी कर्मचारी समझा जायेगा। (ग) किसी सरकारी कर्मचारी के संबंध में, ‘‘परिवार का सदस्य’’ के अन्तर्गत निम्नलिखित व्यक्ति सम्मिलित होंगेः- (1) ऐसे सरकारी कर्मचारी की पत्नी, उसका लड़का, सौतेला लड़का, अविवाहित लड़की या अविवाहित सौतेली लड़की, चाहे वह उसके साथ रहता/रहती हो अथवा नहीं, और किसी महिला सरकारी कर्मचारी के संबंध में, उसके साथ रहने वाला तथा उस पर आश्रित उसका पति, तथा (2) कोई भी अन्य व्यक्ति, जो रक्त संबंध से या विवाह द्वारा उक्त सरकारी कर्मचारी या संबंधी हो या ऐसे सरकारी कर्मचारी की पत्नी का या उसके पति का सम्बन्धी हो और जो ऐसे कर्मचारी पर पूर्णतः आश्रित होः किन्तु इसके अन्तर्गत ऐसी पत्नी या पति सम्मिलित नहीं होगी/सम्मिलित नहीं होगा, जो सरकारी कर्मचारी से विधितः पृथक की गई हो/पृथक किया गया हो या ऐसा लड़का, सौतेला लड़का, अविवाहित लड़की या अविवाहित सौतेली लड़की सम्मिलित नहीं होगा/सम्मिलित नहीं होगी जो आगे के लिये, किसी भी प्रकार उस पर आश्रित नहीं है या जिसकी अभिरक्षा ;ब्नेजवकलद्ध; से सरकारी कर्मचारी को, विधि द्वारा वंचित कर दिया गया हो। 3-सामान्य- (1) प्रत्येक सरकारी कर्मचारी को राज्य कर्मचारी रहते हुए आत्यंतिक रूप से सत्यनिश्ठता तथा कर्त्तव्यपरायणता से अपने कार्यों का निर्वहन करना होगा। (2) प्रत्येक सरकारी कर्मचारी को राज्य कर्मचारी रहते हुए उसके व्यवहार तथा आचरण को विनियमित करने वाले तत्समय प्रवृत्त विशिष्ट ;ैचमबपपिबद्ध या विवक्षित ;प्उचसपमकद्ध शासकीय आदशों के अनुसार आचरण करना होगा। (3) कामकाजी महिलाओं के यौन उत्पीड़न का प्रतिशोध- 1-कोई सरकारी कर्मचारी किसी महिला के कार्यस्थल पर, उसके यौन उत्पीड़न के किसी कार्य में संलिप्त नहीं होगा। 2-प्रत्येक सरकारी कर्मचारी जो किसी कार्य स्थल का प्रभारी हो, उस कार्यस्थल पर किसी महिला के यौन उत्पीड़न को रोकने के लिए उपयुक्त कदम उठाएगा। स्पष्टीकरण-इस नियम के प्रयोजनों के लिए ‘‘यौन उत्पीड़न’’ में, प्रत्यक्षतः या अन्यथा कामवासना से प्रेरित कोई ऐसा अशोभनीय व्यवहार सम्मिलित है जैसे कि- (क) शारीरिक स्पर्श और कामोदीप्त प्रणय संबंधी चष्टायें, (ख) यौन स्वीकृति की मांग या प्रार्थना, 2 (ग) कामवासना-प्रेरित फब्तियां, (घ) किसी कामोत्तेजेक कार्य/व्यवहार या सामग्री का प्रदर्शन, या (ङ) यौन संबंधी कोई अन्य अशोभनीय शारीरिक, मौखिक या सांकेतिक आचरण। (4) कोई सरकारी कर्मचारी घरेलू कार्य में सहायता के रूप में 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों को सेवायोजित नहीं करेगा। 4-सभी लोगों के साथ समान व्यवहार- (1) प्रत्येक सरकारी कर्मचारी को सभी जाति, पंथ ;ैमबजद्ध या धर्म के लोगों के साथ समान व्यवहार करना होगा। (2) कोई सरकारी कर्मचारी किसी रूप में अस्पृश्यता का आचरण नहीं करेगा। 4-क-मादक पान तथा औषधि का सेवन- कोई सरकारी कर्मचारी- (क) किसी क्षेत्र में, जहां वह तत्समय विद्यमान हो, मादक पान अथवा मादक औषधि संबंधी प्रवृत्त किसी विधि का दृ जायेगा जहां पर जनता आ-जा सकती हो या उसे आने-जाने की अनुज्ञा हो। 5-राजनीति तथा चुनावों में हिस्सा लेना- (1) कोई सरकारी कर्मचारी किसी राजनीतिक दल का या किसी ऐसी संस्था का, जो राजनीति में हिस्सा लेती है, सदस्य न होगा और न अन्यथा उससे संबंध रखेगा और न वह किसी ऐसे आन्दोलन में या संस्था में हिस्सा लेगा, उसकी सहायतार्थ चन्दा देगा या किसी अन्य रीति से उसकी मदद करेगा, जो, प्रत्यक्षतः या अप्रत्यक्षतः विधि द्वारा स्थापित सरकार के प्रति ध्वंसक है या उसके प्रति ध्वंसक कार्यवाहियां करने की प्रवृत्ति पैदा करती है। उदाहरण राज्य में ‘क’, ‘ख’, ‘ग’ राजनीतिक दल हैं। ‘क’ वह दल है जो सत्ता में है और जिसने तत्समय सरकार बनाई है। ‘अ’ एक सरकारी कर्मचारी है। यह उप-नियम ‘अ’ पर सभी दलों के संबंध में, जिसमें ‘क’ दल भी, जो कि सत्ता में है, सहित प्रतिशेध करेगा। (2) प्रत्येक सरकारी कर्मचारी का यह कर्त्तव्य होगा कि वह अपने परिवार के किसी भी सदस्य को, किसी ऐसे आन्दोलन या क्रिया ;।बजपअपजलद्ध में, जो प्रत्यक्षतः या अप्रत्यक्षतः विधि द्वारा स्थापित सरकार के प्रति ध्वंसक है या उसके प्रति ध्वंसक कार्यवाहियां करने की प्रवृत्ति पैदा करती है, हिस्सा लेने, सहायतार्थ चन्दा देने या किसी अन्य रीति से उसकी मदद करने से रोकने का प्रयत्न करे, और, उस दषा में जबकि कोई सरकारी कर्मचारी अपने परिवार के किसी सदस्य को किसी ऐसे आन्दोलन या क्रिया में भाग लेने, सहायतार्थ चन्दा देने या किसी अन्य रीति से मदद करने से रोकने में असफल रहे, तो वह इस आषय की एक रिपोर्ट सरकार के पास भेज देगा। उदाहरण ‘क’ एक सरकारी कर्मचारी है। ‘ख’ एक ‘‘परिवार का सदस्य’’ है, जैसी कि उसकी परिभाशा नियम 2 (ग) में दी गयी है। 3 ‘आ’ वह आन्दोलन या क्रिया है, जो, प्रत्यक्षतः या अप्रत्यक्षतः विधि द्वारा स्थापित सरकार के प्रति ध्वंसक है या उसके प्रति ध्वंसक कार्यवाहियां करने की प्रवृत्ति पैदा करती है। ‘क’ को विदित हो जाता है कि इस उप नियम के उपबन्धों के अन्तर्गत, ‘आ’ के साथ ‘ख’ का सम्पर्क आपत्तिजनक है। ‘क’ को चाहिए कि वह ‘ख’ के ऐसे आपत्तिजनक सम्पर्क को रोके। यदि ‘क’, ‘ख’ के ऐसे सम्पर्क को रोकने में असफल रहे, तो उसे इस मामले की एक रिपोर्ट सरकार के पास भेज देनी चाहिए। (3) यदि कोई प्रश्न उठता है कि कोई आन्दोलन या क्रिया इस नियम की परिधि में आती है अथवा नहीं, तो इस प्रश्न पर सरकार द्वारा दिया गया निर्णय अन्तिम होगा। (4) कोई सरकारी कर्मचारी, किसी विधान मण्डल या स्थानीय प्राधिकारी ;स्वबंस ।नजीवतपजलद्ध के चुनाव में, न तो मतार्थन ;ब्ंदअेंपदहद्ध करेगा न अन्यथा उसमें हस्तक्षेप करेगा, और न उसके संबंध में अपने प्रभाव का प्रयोग करेगा और न उसमें भाग लेगाः परन्तु- (1) कोई सरकारी कर्मचारी, जो ऐसे चुनाव में वोट डालने का अधिकारी है, वोट डालने के अपने अधिकार को प्रयोग में ला सकता है, किन्तु उस दशा में जब कि वह वोट डालने के अपने अधिकार का प्रयोग करता है, वह इस बात का कोई संकेत न देगा कि उसने किसा जायेगा कि उसने इस उप नियम के उपबन्धों का उल्लंघन किया है। स्पश्टीकरण-किसी सरकारी कर्मचारी द्वारा अपने शरीर, अपनी सवारी गाड़ी या निवास-स्थान पर, किसी चुनाव चिन्ह ;म्समबजवतंस ेलउइवसद्ध के प्रदर्शन के संबंध में यह समझा जायेगा कि उसने इस उप नियम के अर्थ के अन्तर्गत, किसी चुनाव के संबंध में अपने प्रभाव का प्रयोग किया है। उदाहरण किसी चुनाव के संबंध में, रिटर्निंग अधिकारी, सहायक रिटर्निंग अधिकारी, पीठासीन अधिकारी, मतदान अधिकारी या मतदान क्लर्क, की हैसियत से कार्य करना उप नियम (4) के उपबन्धों का उल्लंघन नहीं होगा। 5-क- प्रदर्शन तथा हड़तालें- कोई सरकारी कर्मचारी- (1) कोई प्रदर्षन नहीं करेगा या किसी ऐसे प्रदर्षन में भाग नहीं लेगा, जो भारत की प्रभुता तथा अखंडता के हितों पर प्रतिकूल प्रभाव डालने, राज्य की सुरक्षा, विदेषी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण सम्बन्धों, सार्वजनिक सुव्यवस्था, शिष्टता या नैतिकता के प्रतिकूल हो अथवा जिससे न्यायालय का अवमान या मानहानि होती हो अथवा अपराध करने के लिए उत्तेजना मिलती हो, अथवा (2) स्वयं या किसी अन्य सरकारी कर्मचारी की सेवा से सम्बन्धित किसी मामले के संबंध में न तो कोई हड़ताल करेगा और न किसी प्रकार की हड़ताल करने के लिए प्रेरित करेगा। 5-ख-सरकारी कर्मचारियों का संघों ;।ेवबपंजपवदद्ध का सदस्य बनना- कोई सरकारी कर्मचारी किसी ऐसे संघ का न तो सदस्य बनेगा और न उसका सदस्य बना रहेगा, जिसके उद्देश्य अथवा कार्य-कलाप भारत की प्रभुता तथा अखंडता के हितों या सार्वजनिक सुव्यवस्था अथवा नैतिकता के प्रतिकूल हों। 6-समाचार पत्रों ;च्तमेद्ध या रेडियो से सम्बन्ध रखना- 4 (1) कोई सरकारी कर्मचारी, सिवाय उस दषा के जबकि उसने राज्य सरकार की पूर्व स्वीकृति प्राप्त कर ली हो, किसी समाचार-पत्र या अन्य नियतकालिक प्रकाशन ;च्मतपवकपबंस चनइसपबंजपवदद्ध का पूर्णतः या अंषतः, स्वामी नहीं बनेगा, न उसका संचालन करेगा, न उसके सम्पादन या प्रबन्ध में भाग लेगा। (2) कोई सरकारी कर्मचारी, सिवाय उस दषा के जबकि उसने राज्य सरकार की या इस सम्बन्ध में सरकार द्वारा अधिकृत किसी अन्य प्राधिकारी की पूर्व स्वीकृति प्राप्त कर ली हो अथवा जब वह अपने कर्त्तव्यों का सद्भाव से निर्वहन कर रहा हो, किसी रेडियो प्रसारण में भाग नहीं लेगा या किसी समाचार-पत्र या पत्रिका को लेख नहीं भेजेगा और छदम्नाम से, अपने नाम में या किसी अन्य व्यक्ति के नाम में, किसी समाचार-पत्र या पत्रिका का कोई पत्र नहीं लिखेगा : परन्तु उस दषा में जबकि ऐसे प्रसारण या ऐसे लेख का स्वरूप केवल साहित्य, कलात्मक या वैज्ञानिक हो, किसी ऐसे स्वीकृत पत्र ;ठतवंकबेंजद्ध के प्राप्त करने की आवश्यकता नहीं होगी। 7-सरकार की आलोचना- कोई सरकारी कर्मचारी किसी रेडियो प्रसारण में या छदम्नाम से, या स्वयं अपने नाम में या किसी अन्य व्यक्ति के नाम में प्रकाषित किसी लेख्य में या समाचार-पत्रों को भेजे गये किसी पत्र में, या किसी सार्वजनिक कथन ;च्नइसपब नजजमतंदबमद्ध में, कोई ऐसी तथ्य की बात ;ैजंजमउमदज वि िंबजद्ध या मत व्यक्त नहीं करेगा- (1) जिसका प्रभाव यह हो कि वरिष्ठ पदाधिकारियों के किसी निर्णय की प्रतिकूल आलोचना हो या उत्तरांचल सरकार या केन्द्रीय सरकार या किसी अन्य राज्य सरकार या किसी स्थानीय प्राधिकारी की किसी चालू या हाल की नीति या कार्य की प्रतिकूल आलोचना हो; अथवा (2) जिससे उत्तरांचल सरकार और केन्द्रीय सरकार या किसी अन्य राज्य की सरकार के आपसी सम्बन्धों में उलझन पैदा हो सकती हो; अथवा (3) जिससे केन्द्रीय सरकार और किसी विदेषी राज्य की सरकार के आपसी सम्बन्धों में उलझन पैदा हो सकती हो : परन्तु इस नियम में व्यक्त कोई भी बात किसी सरकारी कर्मचारी द्वारा व्यक्त किए गए किसी ऐसे कथन या विचारों के सम्बन्ध में लागू न होगी, जिन्हें उसने अपने सरकारी पद की हैसियत से या उसे सौंपे गये कर्त्तव्यों के यथोचित पालन में व्यक्त किया हो। उदाहरण (1) ‘क’ को, जो एक सरकारी कर्मचारी है, सरकार द्वारा नौकरी से बर्खास्त किया गया है। ‘ख’ को, जो कि एक दूसरा सरकारी कर्मचारी है, इस बात की अनुमति नहीं है कि वह सार्वजनिक रूप से ;च्नइसपबसलद्ध यह कहे कि दिया गया दण्ड अवैध, अत्यधिक या अन्यायपूर्ण है। (2) कोई लोक अधिकारी स्टेषन ‘क’ से स्टेषन ‘ख’ को स्थानान्तरित किया गया है। कोई भी सरकारी कर्मचारी, उक्त लोक अधिकारी को स्टेषन ‘क’ पर ही बनाए रखने से संबंधित किसी आन्दोलन में भाग नहीं ले सकता। (3) किसी सरकारी कर्मचारी को इस बात की अनुमति नहीं है कि वह सार्वजनिक रूप से ऐसे मामलों में सरकार की नीति की आलोचना करे, जैसे किसी वर्श के लिए निर्धारित गन्ने का भाव, परिवहन का राष्ट्रीयकरण, इत्यादि। (4) कोई सरकारी कर्मचारी निर्दिश्ट आयात की गई वस्तुओं पर केन्द्रीय सरकार द्वारा लगाए गए कर की दर के संबंध में कोई मत व्यक्त नहीं कर सकता। (5) एक पड़ोसी राज्य उत्तरांचल की सीमा पर स्थित किसी भू-खण्ड के संबंध में दावा करता है कि वह भूखण्ड उसका है। कोई सरकारी कर्मचारी उक्त दावे के संबंध में, सार्वजनिक रूप से, कोई मत व्यक्त नहीं कर सकता। 5 (6) किसी सरकारी कर्मचारी को इस बात की अनुमति नहीं है कि वह किसी विदेषी राज्य के इस निष्चय पर कोई मत प्रकाषित करे कि उसने उन रियायतों को समाप्त कर दिया है जिन्हें वह एक दूसरे राज्य के राष्ट्रिकों ;छंजपवदंसेद्ध को देता था। 8-किसी समिति या किसी अन्य प्राधिकारी के सामने साक्ष्य- (1) उप नियम (3) के उपबन्धित रीति के अतिरिक्त, कोई सरकारी कर्मचारी, सिवाय उस दषा के जबकि उसने सरकार की पूर्व स्वीकृति प्राप्त कर ली हो, किसी व्यक्ति, समिति या प्राधिकारी द्वारा संचालित किसी जांच के संबंध में साक्ष्य नहीं देगा। (2) उस दषा में, जबकि उप नियम (1) के अन्तर्गत कोई स्वीकृति प्रदान की गई हो, कोई सरकारी कर्मचारी, इस प्रकार से साक्ष्य देते समय, उत्तरांचल सरकार, केन्द्रीय सरकार या किसी राज्य सरकार की नीति की आलोचना नहीं करेगा। (3) इस नियम में दी हुई कोई बात, निम्नलिखित के संबंध में लागू न होगी :- (क) साक्ष्य, जो राज्य सरकार, केन्द्रीय सरकार, उत्तरांचल की विधान सभा या संसद द्वारा नियुक्त किसी प्राधिकारी के सामने दी गई हो, अथवा (ख) साक्ष्य, जो किसी न्यायिक ;श्रनकपबपंसद्ध जांच में दी गयी हो। 9-सूचना का अनधिकृत संचार- कोई सरकारी कर्मचारी, सिवाय सरकार के किसी सामान्य अथवा विषेश आदेषानुसार या उसको सौंपे गए कर्त्तव्यों का सद्भाव के साथ ;प्द हववक िंपजीद्ध पालन करते हुए, प्रत्यक्षतः या अप्रत्यक्षतः कोई सरकारी लेख्य या सूचना किसी सरकारी कर्मचारी को या किसी ऐसे अन्य व्यक्ति को, जिसे ऐसा लेख्य या सूचना देने या संचार करने का उसे अधिकार न हो, न देगा और न संचार करेगा। स्पष्टीकरण-किसी सरकारी कर्मचारी द्वारा अपने वरिश्ठ पदाधिकारियों को दिए गये अभ्यावेदन में किसी पत्रावली की टिप्पणियों का या टिप्पणियों में से उद्धरण देना इस नियम के अर्थ के अन्तर्गत सूचना का अनधिकृत संचार माना जायेगा। 10-चन्दे- कोई सरकारी कर्मचारी, राज्य सरकार की पूर्व स्वीकृति प्राप्त किये बिना किसी ऐसे धमार्थ प्रयोजन के लिए चन्दा या कोई अन्य वित्तीय सहायता मांग सकता है या स्वीकार कर सकता है या उसके इकट्ठा करने में भाग ले सकता है, जिसका सम्बन्घ डाक्टरी सहायता, षिक्षा या सार्वजनिक उपयोगिता के अन्य उद्देष्यों से हो, किन्तु उसे इस बात की अनुमति नहीं है कि वह इसके अतिरिक्त किसी भी अन्य प्रयोजन के लिए चन्दा, आदि मांगे। उदाहरण कोई भी सरकारी कर्मचारी, राज्य सरकार की पूर्व स्वीकृति प्राप्त किये बिना जनता के उपयोग के लिए किसी नलकूप (ज्नइमूमसस) के बेधन के लिए या किसी सार्वजनिक घाट के निर्माण या मरम्मत के लिए, चन्दा जमा नहीं कर सकता 11-भेंट- कोई सरकारी कर्मचारी, सिवाय उस दशा के जबकि उसने राज्य सरकार की पूर्व स्वीकृति प्राप्त कर ली हो- (क) स्वयं अपनी ओर से या किसी अन्य व्यक्ति की ओर से, किसी ऐसे व्यक्ति से, जो उसका निकट-सम्बन्धी न हो, प्रत्यक्षतः या अप्रत्यक्षतः कोई भेंट, अनुग्रह-धन, पुरस्कार स्वीकार नहीं करेगा, या (ख) अपने परिवार के किसी ऐसे सदस्य को, जो उस पर आश्रित हो, किसी ऐसे व्यक्ति से, जो उसका निकट-सम्बन्धी न हो, कोई भेंट, अनुग्रह, धन या पुरस्कार स्वीकार करने की अनुमति नहीं देगा : 6 परन्तु वह किसी जातीय मित्र ;च्मतेवदंस तिपमदकद्ध से सरकारी कर्मचारी के मूलवेतन का दसांष या उससे कम मूल्य का एक विवाहोपहार या किसी रीतिक अवसर पर इतने ही मूल्य का एक उपहार स्वीकार कर सकता है या अपने परिवार के किसी सदस्य को उसे स्वीकार करने की अनुमति दे सकता है। किन्तु सभी सरकारी कर्मचारियों को चाहिए कि वे इस प्रकार के उपहारों के दिए जाने को भी रोकने का भरसक प्रयत्न करें। उदाहरण एक कस्बे के नागरिक यह निश्चय करते हैं कि ‘क’ को, जो एक सब मण्डलीय अधिकारी है, बा जायेगा कि वह इस नियम के अर्थ में लगी हुई पूंजियों में सट्टा लगाता है। (2) यदि कोई प्रष्न उठता है कि कोई प्रतिभूति या लगी हुई पूंजी, उप नियम (1) में निर्दिश्ट स्वरूप की है अथवा नहीं, तो उस पर सरकार द्वारा दिया गया निर्णय अंतिम होगा। 19-लगाई हुई पूंजियां- (1) कोई सरकारी कर्मचारी, न तो कोई पूंजी इस प्रकार स्वयं लगायेगा और न अपनी पत्नी या अपने परिवार के किसी सदस्य को लगाने देगा। जिससे उसके सरकारी कर्त्तव्यों के परिपालन में उलझन या प्रभाव पड़ने की संभावना हो। (2) यदि कोई प्रश्न उठता है कि कोई प्रतिभूति या लगी हुई पूंजी उपर्युक्त स्वरूप की है अथवा नहीं, तो उस पर सरकार द्वारा दिया गया निर्णय अंतिम होगा। उदाहरण कोई जिला जज, उस जिले में जिसमें वह तैनात है, अपनी पत्नी या अपने पुत्र को, कोई सिनेमागृह खोलने, या उसमें कोई हिस्सा खरीदने की अनुमति नहीं देगा। 20-उधार देना और उधार लेना- (1) कोई सरकारी कर्मचारी, सिवाय उस दषा के जबकि उसने समुचित प्राधिकारी की पूर्व स्वीकृति प्राप्त कर ली हो, किसी ऐसे व्यक्ति को जिसके पास उसके प्राधिकार की स्थानीय सीमाओं के भीतर, कोई भूमि या बहुमूल्य सम्पत्ति हो, रुपया उधार नहीं देगा और न किसी व्यक्ति को ब्याज पर रुपया उधार देगाः परन्तु कोई सरकारी कर्मचारी, किसी असरकारी नौकर को अग्रिम रूप से वेतन दे सकता है, या इस बात के होते हुए भी कि ऐसा व्यक्ति (उसका मित्र या संबंधी) उसके प्राधिकार की स्थानीय सीमाओं के भीतर कोई भूमि रखता है, वह अपने किसी जातीय मित्र या संबंधी को, बिना ब्याज के, एक छोटी रकम वाला ऋण दे सकता है। (2) कोई भी सरकारी कर्मचारी, सिवाय किसी बैंक, सहाकरी समिति या अच्छी साख वाली फर्म के साथ साधारण व्यापार क्रम के अनुसार न तो किसी व्यक्ति से, अपने स्थानीय प्राधिकार की सीमाओं के भीतर, रुपया उधार लेगा, और न अन्यथा अपने को ऐसी स्थिति में रखेगा जिससे वह उस व्यक्ति के वित्तीय बंधन ;च्मबनदपंतल वइसपहंजपवदद्ध के अन्तर्गत हो जाये, और न वह सिवाय उस दषा के जब कि उसने समुचित प्राधिकारी की पूर्व स्वीकृति प्राप्त कर ली हो, अपने परिवार के किसी सदस्य को इस प्रकार का व्यवहार करने की अनुमति देगाः परन्तु कोई सरकारी कर्मचारी, किसी जातीय मित्र ;च्मतेवदंस तिपमदकद्ध या संबंधी से, अपने दो माह के मूल वेतन या उससे कम मूल्य का बिना ब्याज वाला एक छोटी रकम का एक नितान्त अस्थायी ऋण स्वीकार कर सकता है या किसी वास्तविक ;ठवदं.पिकमद्ध व्यापारी के साथ उधार-लेखा चला सकता है। (3) जब कोई सरकारी कर्मचारी, इस प्रकार के किसी पद पर नियुक्ति या स्थानान्तरण पर भेजा जाय जिसमें उसके द्वारा उप नियम (1) या उप नियम (2) के किन्हीं उपबन्धों का उल्लंघन निहित हो, तो वह तुरन्त ही समुचित प्राधिकारी को उक्त परिस्थितियों की रिपोर्ट भेज देगा, और उसके बाद ऐसे आदेषों के अनुसार कार्य करेगा जिन्हें समुचित प्राधिकारी दें। (4) ऐसे सरकारी कर्मचारियों की दषा में, जो राजपत्रित पदाधिकारी हैं, समुचित प्राधिकारी राज्य सरकार होगी और, दूसरे मामलों में, कार्यालयाध्यक्ष समुचित प्राधिकारी होगा। 21-दिवालिया और अभ्यासी ऋणग्रस्तता ;भ्ंइपजनंस पदकमइजमकदमेद्ध- 10 सरकारी कर्मचारी, अपने जातीय मामलों का ऐसा प्रबन्ध करेगा जिससे वह अभ्यासी ऋणग्रस्तता से या दिवालिया होने से बच सके। ऐसे सरकारी कर्मचारी को, जिसके विरुद्ध उसके दिवालिया होने के संबंध में कोई विधिक कार्यवाही चल रही हो, उसे चाहिए कि वह तुरन्त ही उस कार्यालय या विभाग के अध्यक्ष को, जिसमें वह सेवायोजित हो, सब बातों की रिपोर्ट भेज दें। 22-चल, अचल तथा बहुमूल्य सम्पत्ति- (1) कोई सरकारी कर्मचारी, सिवाय उस दषा के जब कि समुचित प्राधिकारी को इसकी पूर्व जानकारी हो, या तो स्वयं अपने नाम से या अपने परिवार के किसी सदस्य के नाम से, पट्टा, रेहन, क्रय, विक्रय या भेंट द्वारा या अन्यथा, न तो कोई अचल सम्पत्ति अर्जित करेगा और न उसे बेचेगा : परन्तु किसी ऐसे व्यवहार के लिये, जो किसी नियमित और ख्यातिप्राप्त ;त्मचनजमकद्ध व्यापारी से भिन्न व्यक्ति द्वारा सम्पादित किया गया हो, समुचित प्राधिकारी की पूर्व स्वीकृति प्राप्त करना आवष्यक होगा। उदाहरण ‘क’, जो एक सरकारी कर्मचारी है, एक मकान खरीदने का प्रस्ताव करता है। उसे समुचित प्राधिकारी को इस प्रस्ताव को सूचना दे देनी चाहिये। यदि वह व्यवहार, किसी नियमित और ख्यातिप्राप्त व्यापारी से भिन्न व्यक्ति द्वारा सम्पादित किया जाना है, तो ‘क’ को चाहिए कि वह समुचित प्राधिकारी की पूर्व स्वीकृति भी प्राप्त कर ले। यही प्रक्रिया उस दषा में भी लागू होगी जब ‘क’ अपना मकान बेचने का प्रस्ताव करे। (2) कोई सरकारी कर्मचारी जो अपने एक मास के वेतन अथवा 5,000 रु0, जो भी कम हो, से अधिक मूल्य की किसी चल सम्पत्ति के संबंध में क्रय-विक्रय के रूप में या अन्य प्रकार से कोई व्यवहार करता है तो ऐसे व्यवहार की रिपोर्ट तुरन्त समुचित प्राधिकारी को करेगाः प्रतिबन्ध यह है कि कोई सरकारी कर्मचारी सिवाय किसी ख्यातिप्राप्त व्यापारी या अच्छी साख के अभिकर्ता के साथ या द्वारा या समुचित प्राधिकारी की पूर्व स्वीकृति से, इस प्रकार का कोई व्यवहार नहीं करेगा। उदाहरण (प) ‘क’, जो एक सरकारी कर्मचारी है जिसका मासिक वेतन छः सौ रुपया है और वह सात सौ रुपये का टेप रिकार्डर खरीदता है, या (पप) ‘ख’ जो एक सरकारी कर्मचारी है जिसका मासिक वेतन दो हजार रुपया है और पन्द्रह सौ रुपये में मोटर बेचता है, किसी भी दशा में ‘क’ या ‘ख’ को इस मामले की रिपोर्ट समुचित प्राधिकारी को अवष्य करनी चाहिये। यदि व्यवहार किसी ख्याति प्राप्त व्यापारी से भिन्न प्रकार से किया जाता है तो उसे समुचित प्राधिकारी की पूर्व स्वीकृति भी आवश्यक प्राप्त कर लेनी चाहिये। (3) प्रथम नियुक्ति के समय और तदुपरान्त हर पांच वर्श की अवधि बीतने पर, प्रत्येक सरकारी कर्मचारी, सामान्य रूप से नियुक्ति करने वाले प्राधिकारी को, ऐसी सभी अचल सम्पत्ति की घोशणा करेगा जिसका वह स्वयं स्वामी हो, जिसे उसने स्वयं अर्जित किया हो या जिसे उसने दान के रूप में पाया हो या जिसे वह पट्टा या रेहन पर रखे हो, और ऐसे हिस्सों की या अन्य लगी हुई पूंजियों की घोषणा करेगा, जिन्हें वह समय≤ पर रखे या अर्जित करे, या उसकी पत्नी, या उसके साथ रहने वाले या किसी प्रकार भी उस पर आश्रित उसके परिवार के किसी सदस्य द्वारा रखी गई हो या अर्जित की गई हो। इन घोषणाओं में सम्पत्ति, हिस्सों और अन्य लगी हुई पूंजियों के पूरे व्योरे दिये जाने चाहिये। (4) समुचित प्राधिकारी, सामान्य या विशेष आदेष द्वारा, किसी भी समय, किसी सरकारी कर्मचारी को यह आदेश दे सकता है कि वह आदेष में निर्दिष्ट अवधि के भीतर, ऐसी चल या अचल सम्पत्ति का, जो उसके पास अथवा उसके परिवार के किसी सदस्य के पास रही हो या अर्जित की गई हो, और जो आदेष में निर्दिश्ट हो, एक सम्पूर्ण विवरणपत्र प्रस्तुत करे। यदि समुचित प्राधिकारी ऐसी आज्ञा दे तो ऐसे 11 विवरण पत्र में, उन साधनों ;डमंदेद्ध के या उस तरीके ;ैवनतबमद्ध के व्योरे भी सम्मिलित हों, जिनके द्वारा ऐसी सम्पत्ति अर्जित की गई थी। (5) समुचित प्राधिकारी- (क) राज्य सेवा से संबंधित किसी सरकारी कर्मचारी के प्रसंग में, उप नियम (1) तथा (4) के प्रयोजनों के निमित्त, राज्य सरकार तथा उप नियम (2) के निमित्त विभागाध्यक्ष होंगे। (ख) अन्य सरकारी कर्मचारियों के प्रसंग में उप नियम (1) से (4) तक के प्रयोजनों के निमित्त, विभागाध्यक्ष होंगे। 23-सरकारी कर्मचारियों के कार्यों तथा चरित्र का प्रतिसमर्थन ;टपदकपबंजपवदद्ध- कोई सरकारी कर्मचारी सिवाय उस दषा में जब कि उसने सरकार की पूर्व स्वीकृति प्राप्त कर ली हो, किसी ऐसे सरकारी कार्य का, जो प्रतिकूल आलोचना या मानहानिकारी आक्षेप का विशय बन गया हो, के प्रति- समर्थन करने के लिये, किसी समाचार-पत्र की षरण नहीं लेगा। स्पष्टीकरण-इस नियम की किसी बात के संबंध में यह नहीं समझा जायेगा कि किसी सरकारी कर्मचारी को, अपने जातीय चरित्र का या उसके द्वारा निजी रूप में किये गये किसी कार्य का प्रतिसमर्थन करने से प्रतिशेध किया जाता है। 24-असरकारी या अन्य वाह्य प्रभाव ;व्नजेपकम पदसिनमदबमद्ध का मतार्थन- कोई सरकारी कर्मचारी अपनी सेवा से सम्बन्धित हितों से सम्बद्ध किसी मामले में कोई राजनीतिक या अन्य वाह्य साधनों से न तो स्वयं और न ही अपने कुटुम्ब के किसी सदस्य द्वारा कोई प्रभाव डालेगा या प्रभाव डालने का प्रयास करेगा। स्पष्टीकरण-सरकारी कर्मचारी की यथास्थिति पत्नी या पति या अन्य सम्बन्धी द्वारा किया गया कोई कार्य जो इस नियम की व्याप्ति के अन्तर्गत हो, के संबंध में, जब तक कि इसके विपरीत प्रमाणित न हो जाय, यह माना जायेगा कि वह कार्य सम्बन्धित कर्मचारी की प्रेरणा या मौन स्वीकृति से किया गया है। उदाहरण ‘क’, एक सरकारी कर्मचारी है और ‘ख’, ‘क’ के कुटुम्ब का एक सदस्य है, ‘ग’ एक राजनीतिक दल है और ‘ग’ के अन्तर्गत ‘घ’ एक संगठन है। ‘ख’ ने ‘ग’ में पर्याप्त ख्याति प्राप्त कर ली और ‘घ’ में एक पदाधिकारी हो गया। ‘घ’ के द्वारा ‘ख’ ने ‘क’ की बात का समर्थन करना प्रारम्भ किया यहां तक कि ‘ख’ ने ‘क’ के उच्च अधिकारियों के विरुद्ध संकल्प प्रस्तुत किया। ‘ख’ का यह कार्य उपर्युक्त नियम के उपबन्धों का उल्लंघन होगा और उसके सम्बन्ध में यह समझा जायेगा कि वह ‘क’ की प्रेरणा या उसकी मौन स्वीकृति से किया गया है, जब तक कि ‘क’ यह न प्रमाणित कर दे कि ऐसा नहीं था। 24-क-‘‘सरकारी सेवकों द्वारा अभ्यावेदन- कोई सरकारी कर्मचारी सिवाय उचित माध्यम से और ऐसे निर्देशां के अनुसार जिन्हें राज्य सरकार समय≤ पर जारी करे, व्यक्तिगत रूप से या अपने परिवार के किसी सदस्य के माध्यम से सरकार अथवा किसी अन्य प्राधिकारी को कोई अभ्यावेदन नहीं करेगा। नियम 24 का स्पष्टीकरण इस नियम पर भी लागू होगा।’’ 25-अनाधिकृत वित्तीय व्यवस्थाएं- कोई सरकारी कर्मचारी किसी अन्य सरकारी कर्मचारी के साथ या किसी अन्य व्यक्ति के साथ, कोई ऐसी वित्तीय व्यवस्था नहीं करेगा जिससे दोनों में किसी एक को या दोनों ही अनाधिकृत रूप से या तत्समय 12 प्रवृत्त किसी नियम के विशिष्ट ;ैचमबपपिबद्ध या विवक्षित ;प्उचसपमकद्ध उपबन्धों के विरुद्ध किसी प्रकार का लाभ हो। उदाहरण (1) ‘क’, किसी कार्यालय में एक सीनियर क्लर्क है, और स्थानापन्न रूप से पदोन्नति पाने का अधिकारी है। ‘क’ को इस बात का भरोसा नहीं है कि वह उस स्थानापन्न पद के अपने कर्त्तव्यों का संतोशजनक रूप से निर्वहन कर सकता है। ‘ख’ जो एक जूनियर क्लर्क है, कुछ वित्तीय प्रतिफल को दृश्टि में रखकर ‘क’ को निजी तौर पर मदद देने को तैयार होता है। तद्नुसार ‘क’ और ‘ख’ वित्तीय व्यवस्था करते हैं। दोनो ही इस प्रकार नियम खण्डित करते हैं। (2) यदि ‘क’, जो किसी कार्यालय का अधीक्षक है, छुट्टी पर जाय, तो ख, जो कार्यालय का सबसे सीनियर असिस्टेन्ट है, स्थानापन्न रूप से कार्य करने का अवसर पा जायेगा। यदि क, ख के साथ, स्थानापन्न भत्ते में एक हिस्सा लेने की व्यवस्था करने के पश्चात् छुट्टी पर जाय, तो क और ख दोनो ही नियम खण्डित करेंगे। 26-बहु-विवाह- (1) कोई सरकारी कर्मचारी, जिसकी एक पत्नी जीवित है, तत्समय लागू किसी स्वीय विधि के अधीन किसी बात के होते हुए भी राज्य सरकार की पूर्व अनुमति के बिना दूसरा विवाह नहीं करेगा; (2) कोई महिला सरकारी कर्मचारी, राज्य सरकार की पूर्व अनुमति से किसी ऐसे व्यक्ति से, जिसकी एक पत्नी जीवित हो, विवाह नहीं करेगी। 27-सुख-सुविधाओं का समुचित प्रयोग- कोई सरकारी सेवक लोक कर्तव्यों के निर्वहन हेतु सरकार द्वारा उसे प्रदत्त सुविधाओं का दुरुपयोग अथवा असावधानी पूर्वक प्रयोग नहीं करेगा। उदाहरण सरकारी कर्मचारियों के निमित्त जिन सुख-सुविधाओं की व्यवस्था की जाती है, उनमें मोटर, टेलीफोन, निवास-स्थान, फर्नीचर, अर्दली, लेखन-सामग्री आदि की व्यवस्था सम्मिलित है। इन वस्तुओं के दुरुपयोग के अथवा उनके असावधानी पूर्वक प्रयोग किये जाने के उदाहरण निम्न हैं :- (1) सरकारी कर्मचारी के परिवार के सदस्यों या उसके अतिथियों द्वारा, सरकारी व्यय पर, सरकारी वाहनों का प्रयोग करना या अन्य असरकारी कार्य के लिये उनका प्रयोग करना, (2) ऐसे मामलों में, जिनका सम्बन्ध सरकारी कार्य से नहीं है, सरकारी व्यय पर, टेलीफोन, ट्रंककाल करना, (3) सरकारी निवास-स्थानों और फर्नीचर के प्रति उपेक्षा बरतना तथा समुचित रूप से रक्षा करने में असफल रहना, और (4) असरकारी कार्य के लिये सरकारी लेखन-सामग्री का प्रयोग करना। 28-खरीदारियों के लिये मूल्य देना- कोई सरकारी कर्मचारी, उस समय तक जब तक कि किस्तों में मूल्य देना प्रथानुसार ;ब्नेजवउंतलद्ध या विषेश रूप से उपबन्धित न हो या जब तक कि किसी वास्तविक ;ठवदं पिकमद्ध व्यापारी के पास उसका उधार-लेखा ;ब्तमकपज ंबबवनदजद्ध खुला न हो, उन वस्तुओं का, जिन्हें उसने खरीदा हो, या ऐसी खरीदारियां उसने दौरे पर या अन्यथा की हों, शीघ्र और पूर्ण मूल्य देना रोके नहीं रखेगा। 29-बिना मूल्य दिये सेवाओं का उपयोग करना- कोई सरकारी कर्मचारी, बिना यथोचित और पर्याप्त मूल्य दिये बिना किसी ऐसी सेवा या आमोद ;म्दजमतजंपदउमदजद्ध का स्वयं प्रयोग नहीं करेगा जिसके लिये कोई किराया या मूल्य या प्रवेश शुल्क लिया जाता हो। 13 उदाहरण जब तक ऐसा करना कर्त्तव्य के एक मात्र के रूप में निर्धारित न किया गया हो, कोई सरकारी कर्मचारी- (1) किसी भी किराये पर चलने वाली वाहन में बिना मूल्य दिये यात्रा नहीं करेगा, (2) बिना प्रवेश शुल्क दिये सिनेमा शो नहीं देखेगा। 30-दूसरों की सवारी वाहन प्रयोग में लाना- कोई सरकारी कर्मचारी, बिना विशेष परिस्थितियों में, किसी ऐसी सवारी वाहन को प्रयोग नहीं करेगा जो किसी असरकारी व्यक्ति की हो या किसी ऐसे सरकारी कर्मचारी की हो, जो उसके अधीन हो। 31-अधीनस्थ कर्मचारियों के जरिये खरीदारियां- कोई सरकारी कर्मचारी, किसी ऐसे सरकारी कर्मचारी से,जो उसके अधीन हो, अपनी ओर से या अपनी पत्नी या अपने परिवार के अन्य सदस्य की ओर से, चाहे अग्रिम भुगतान करने पर या अन्यथा, उसी षहर में या किसी दूसरे शहर में, खरीदारियां करने के लिये न तो स्वयं कहेगा और न अपनी पत्नी को या अपने परिवार के किसी ऐसे अन्य सदस्य को, जो उसके साथ रह रहा हो, कहने की अनुमति देगाः परन्तु यह नियम उन खरीदारियों पर लागू नहीं होगा जिन्हें करने के लिये सरकारी कर्मचारी से सम्बद्ध निम्नकोटि के कर्मचारी वर्ग से कहा जाय। उदाहरण ‘क’, एक डिप्टी कलेक्टर है। ‘ख’, उक्त डिप्टी कलेक्टर के अधीन एक तहसीलदार है। ‘क’ को चाहिये कि वह अपनी पत्नी को इस बात की अनुमति न दे कि वह ‘ख’ से कहे कि वह उसके लिये कपड़ा खरीदवा दे। 32-निर्वचन ;प्दजमतचतमजंजपवदद्ध- यदि इन नियमों के निर्वचन से संबंधित कोई प्रश्न उत्पन्न होता है, तो उसे सरकार को सन्दर्भित करना होगा तथा सरकार का निर्णय अन्तिम होगा। 33-निरसन ;त्मचमंसद्ध तथा अपवाद ;ैंअपदहद्ध- इन नियमों के प्रारम्भ होने से ठीक पूर्व प्रवृत्त कोई भी नियम, जो इन नियमों के तत्स्थानी थे और जो उत्तरांचल प्रदेष की सरकार के नियंत्रण के अधीन सरकारी कर्मचारियों पर लागू होते थे, एतद्द्वारा निरस्त किये जाते हैं : किन्तु प्रतिबन्ध यह है कि इस प्रकार निरसित किये गये नियमों के अधीन जारी हुए किसी आदेष या की गई किसी कार्यवाही के संबंध में यह समझा जायेगा कि वह आदेष या कार्यवाही इन नियमों के तत्स्थानी उपबन्धों के अधीन जारी किया गया था या की गयी थी।
Code of Professional Ethics:
- Teachers and their Professional Responsibilities:
Whoever adopts teaching as a profession assumes the obligation to conduct himself / herself in accordance with the ideal of the profession. A teacher is consistently under the scrutiny of his students and the society at large. Therefore, every teacher should see that there is no incapability between his precept and practice. The national ideals of education which have already been set forth and which he/she should seek to inculcate among students must be his/her own ideals. The profession further requires that the teacher should be calm, patient and communicative by temperament and amiable in disposition.
Teacher Should:
- Adhere to a responsible pattern of conduct expected of them by the community.
- Manage their private affairs in a consistent with the dignity of the profession.
- Seek to make professional growth continuous through study and research.
- Express free and frank opinion by participation at professional meetings, seminars, conferences etc. towards the contribution of knowledge.
- Maintain active membership of professional organizations and strive to improve education and profession through them.
- Perform their duties in the form of teaching, tutorial, practical, seminar, and research work conscientiously and with dedication.
- Co-operate and assist in carrying out functions relating to the educational responsibilities of the college and the university such as : assisting in appraising applications for admission, advising and counselling students as well as assisting the conduct of university and college examinations, including supervision, invigilation and evaluation and;
- Participate in extension, co-curricular and extra-curricular activities including community service.
- Teacher and the Students
Teacher should:
- Respect the right and dignity of the students in expressing his/her opinion.
- Deal justly and impartially with students regardless of their religion, caste, political, economic, and social and physical characterstics.
- Recognize the difference in aptitude and capabilities among students and strive to meet their individual needs.
- Encourage students to improve their attainments, develop their personalities and at the same time contribute to community welfare.
- Inculcate among students scientific outlook and respect for physical labour and ideals of democracy, patriotism and peace.
- Be affectionate to the students and not behave in a vindictive manner towards any of them for any reason.
- Pay attention to only the attainment of the student in the assessment of merit.
- Make themselves available to the students even beyond their class hours and help and guide students without any remuneration or reward.
- Aid students to develop an understanding of our national heritage and national goals.
- Refrain from inciting students against other students, collegues or administration.
III. Teacher and Colleague:
Teacher should:
- Treat other members of the profession in the same manner as they themselves wish to be treated.
- Speak respectfully of other teachers and render assistance for professional betterment.
- Refrain from lodging unsubstantial allegations against colleagues to higher authorities.
- Refrain from allowing considerations of caste, creed, religion, race or sex in their professional endeavour.
- Teachers and Authorities:
Teacher should:
- Discharge their professional responsibilities according to the existing rules and adhere to procedures and methods consistent with their profession in initiating steps through their own institutional bodies and /or professional organizations for change or any such rule detrimental to the professional interest.
- Refrain from understanding any other employment and commitment including private tuitions and coaching classes which are likely to interfere with their professional responsibilities.
- Co-operate in the formulation of policies of the institution by accepting various offices and discharge responsibilities which such offices may demand.
- Co-operate through their organizations in the formulation of policies of the other institutions and accept offices.
- Co-operate with the authorities for the betterment of the institutions keeping in view the interest and in conformity with dignity of the profession.
- Should adhere to the conditions of contract.
- Give and expect due notice before a change of position is made.
- Refrain from availing themselves of leave except on unavoidable grounds and as far as practicable with prior intimation, keeping in view their particular responsibility for completion of academic schedule.
- Teacher and Guardians
Teacher Should:
Try to see through teacher’s bodies and organizations, that institutions maintain contact with the guardians, their students, send reports of their performance to the guardians whenever necessary and meet the guardians in meetings convened for the purpose for mutual exchange of ideas and for the benefit of the institution.
- Teachers and Society
Teachers should:
- Recognize that education is a public service and strive to keep the public informed of the educational programmes which are being provided.
- Works to improve education in the community and strengthen the community’s moral and intellectual life.
- Be aware of social problems and take part in such activities as would be conductive to the progress of society and hence the country as a whole.
- Perform the duties of citizenship, participate in community activities and shoulder responsibilities of public offices.
- Refrain from taking part in or subscribing to or assisting in any activities which tend to promote feeling of hatred or enimity among different communities, religions or linguistic group but actively work for National Integration.
- Display of core values in the institution and on its website.
Yes
- The Institution plans and organizes appropriate activities to increase consciousness about national identities and symbols; functional duties and Rights of Indian citizens and other constitutional obligations.
छात्रों हेतु आचार संहिता
- शासनादेश संख्या – 528 (1) 15 (उ.शि.) 71/97 दिनांक 11 जून 1997 के अनुसार कोई भी छात्र विश्वविद्यालय की किसी भी परीक्षा में सम्मिलित होने की अनुमति तब तक प्रपट नहीं कर सकेगा, जब तक की वह व्याख्यान और ट्यूटोरियल कक्षाओं में 75 प्रतिशत उपसतिथि पूरी नहीं करता है।
- प्रत्येक छात्र के पास महाविद्यालय परिचय पत्र का होना अनिवार्य है। जिसे परिसर में कभी भी मांगा जा सकता है, परिचय पत्र खोने की दशा में निर्धारित प्रक्रिया द्वारा डुप्लिकेट परिचय पत्र मुख्य शासता से प्रपट कर लें।
- जिन छात्रों की गतिविधियां शास्ता मण्डल / विश्वविद्यालय प्रशासन की राय में अवांछनीय है उन्हे प्रवेश लेने से वंचित किया जा सकता है / निष्कासित किया जा सकता है / उनका प्रवेश भी निरस्त किया जा सकता है।
- महाविद्यालय परिसर में हड़ताल करने अथवा किसी भी हड़ताल को समर्थन देने वाले विद्यार्थी को अनुशासन भंग करने का दोषी माना जाएगा ऐसा विद्यार्थी नियमानुसार महाविद्यालय से स्वतः एवं तथ्यतः निष्कासित हो जाएगा।
- दुराचरण एवं उद्दण्ड्ता के दोषी विद्यार्थी भी नियमानुसार दंड के भागी होंगे ।
- महाविद्यालय में रैगिंग को माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने संगेय अपराध की श्रेणी में स्थापित किया है । रैगिंग में दोषी पाये जाने पर विद्यार्थियों के विरुद्ध अपराध की गंभीरता को देखते हुए निम्नलिखित कार्रवाई कर सकती है –
- प्रवेशार्थी का प्रवेश निरस्त किया जाना ।
- महाविद्यालय से निष्कासन / निलंबन किया जाना।
- किसी अन्य संस्थान में प्रवेश लेने से वंचित किया जाना।
- प्रदत्त शैक्षिक सुविधाओं की वापसी ।
- अपराध की प्रवृत्ति के अनुसार मुकदमा चलाया जाना भी सम्मिलित है।
महाविद्यालय के प्रति मुख्य अपराध
- महाविद्यालय के किसी भी अधिकारी एवं कर्मचारी के प्रति वचन एवं कर्म द्वारा निरादर करना।
- महाविद्यालय में आए किसी सम्मानित अतिथि के प्रति अभद्रता एवं निरादर प्रदर्शित करना।
- कक्षाओं में शिक्षण कार्यों में व्यवधान उत्पन्न करना ।
- वचन या कर्म द्वारा हिंसा या बल का प्रयोग करना अथवा धमकी देना ।
- ऐसा कोई भी कार्य जिससे शांति व्यवस्था व अनुशासन को धक्का लगे या हानि पहुंचे और महाविद्यालय की छवि धूमिल हो ।
- रैगिंग करना या उसके लिए प्रेरित करना ।
- परिसर में किसी राजनीतिक या सांप्रदायिक विचारधारा का प्रचार- प्रसार या प्रदर्शन करना।
- जाली हस्ताक्षर, झूठा प्रणाम पत्र या झूठा बयान प्रस्तुत करना ।
- शास्ता मण्डल के आदेशों / निर्देशों का उल्लंघन करना अथवा मानने से इंकार करना ।
निषेध
- महाविद्यालय परिसर एवं छात्रावास में धूम्रपान अथवा मादक पदार्थों का सेवन करना ।
- महाविद्यालय भवन के कक्षों, दीवारों, दरवाजों, आदि पर लिखना, थूकना अथवा गंदा करना और उन पर विज्ञापन लगाना।
- महाविद्यालय के भवन, बगीचे, फुलवारी, अथवा संपत्ति, को क्षति पहुंचाना / क्षति पहुँचने का प्रयास करना ।
- महाविद्यालय परिसर में लड़ाई – झगड़ा एवं मारपीट करना, अनायास शोर मचाना, सूचना पट्ट से नोटिस फाड़ना अथवा उसे बिगाड़ने का प्रयास करना ।
- कक्षाओं में च्युइंगम , पान मसाला, मोबाइल फोन आदि का प्रयोग करना ।
- महाविद्यालय के अधिकारी / शास्ता मण्डल / प्राध्यापक द्वारा विद्यार्थी का परिचय पत्र मांगने पर इंकार करना ।
- जो भी व्यक्ति निषेधाज्ञा का उल्लंघन करेगा उसको निलंबित, अर्थदंडित एवं निष्कासित किया जा सकता है तथा विश्वविद्यालय परीक्षा में बेठने से भी रोका जा सकता है ।
- महाविद्यालय परिसर में मल्टिमीडिया फोन का प्रयोग पूर्णतः वर्जित है । शास्ता मण्डल द्वारा कभी भी जांच के समय उक्त फोन के पाये जाने पर फोन जब्त कर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी ।